क्या ईश्वर और धर्म एक ही है? हम धर्म की अपनी समझ के माध्यम से भगवान को देखते हैं लेकिन क्या हमें ऐसा करना चाहिए? आइए इस विषय पर विचार करें और समझें कि क्या यह ईश्वर और धर्म की अवधारणा को देखने का सही तरीका है?