धर्मद्वद्वं एक रोचक काल्पनिक कथानक है। जिस समय में भारतवर्ष पांडवों और कौरवों के दो पालों में बँटता दिख रहा था, उस समय में एक आचार्य था जो किसी राजवंश के नहीं, देश के सर्वोपरि होने की बात करता था