जीने की सजा पाठक साहब का सीरीज के इतर लिखा गया एक एकल उपन्यास है। यह पहली बार 1988 में प्रकाशित हुआ था। उपन्यास की घटनाएं विशालगढ़ नामक काल्पनिक कस्बे में घटती हैं। यह एक रहस्यकथा है।