मैंने आत्मकथाएँ बहुत कम पढ़ी हैं। चुनकर ही उन लोगों की आत्मकथा पढ़ता हूँ जो किसी न किसी रूप से मुझे आकर्षित करते हैं। अमरीश पुरी जी के साथ भी ऐसा ही था। अपनी कठोर आवाज़ के साथ ल वो ऐसे बुजुर्ग की याद दिलाते थे जो ऊपर से तो कठोर होता है लेकिन उसका मन अन्दर से बहुत कोमल रहता है। मेरे पसंदीदा कलाकारों में से वो एक थे। यह किताब मुझे बहुत पंसद आई थी।