सीताराम बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय का लिखा उपन्यास है जो कि पहली बार 1887 में प्रकाशित हुआ था। यह एक ऐतिहासिक गल्प है जिसमें पुस्तक के प्रकाशन की तारीख से 180 वर्ष पूर्व की कहानी लेखक द्वारा बताई जा रही है।