बचपन से लेकर जवानी तक जिंदगी के पड़ाव हो गई उम्र अब लोग ऐसा कहते हैं छोड़ दे अब तो अलहड़पन छोड़ दे अब तो बचपन अब तो सयानी हो गयी लोग कहते हैं ज़िंदगी का एक पड़ाव ख़त्म हुआ दूसरे की अब हुई शुरुआत है छोड़ दे अब तो अल्हड़पन