रूह, कश्मीर पर लिखा गया यात्रा-संस्मरण है। यात्रा बाहरी से कहीं अधिक भीतरी। मन में चलती उठा-पठक और नोस्टॉलज़िया। समकालीन विषयों से इतर, यहाँ मानव की नज़र से कश्मीर दिखता है। कश्मीर जो उनका घर था, वह जिस मनोभाव से घर की दीवारों-दरवाज़ों को अपने लिखे में जीवित करते हैं, सराहनीय है।