ब्रैम स्टॉकर ने जब ड्रैकुला लिखी होगी तो उन्हें इस बात का अंदाजा भी नहीं रहा होगा कि उनका लिखा किरदार इतना प्रसिद्ध हो जाएगा। ड्रैकुला जनमानस में उसी तरह रक्त पिशाच का पर्याय बन गया है जैसे कभी डालडा वनस्पति का और कोलगेट टूथपेस्ट का भारतीय जनमानस में बन गया था। इस किरदार ने न केवल फिल्मी दुनिया में अपना कमाल दिखाया बल्कि कॉमिक बुक्स पर अपना प्रभाव छोड़ा था। भारतीय हिंदी कॉमिक बुक्स भी इसके प्रभाव से अछूती नहीं रही थी।