'लाल रेखा' कुशवाहा कांत का लिखा उपन्यास है जो कि 1950 में प्रथम बार प्रकाशित हुआ था। उपन्यास अब राजपाल एंड संस द्वारा पुनः प्रकाशित किया गया है। यह एक रोचक उपन्यास है। उपन्यास पठनीय है और अपने प्रथम प्रकाशन के सत्तर वर्ष बाद भी यह मनोरंजन करता है। हाँ, कुछ चीजें समय के साथ साथ अतिनाटकीय लग सकती हैं और कुछ एक बिंदुओं को उस वक्त संपादन से बेहतर बनाया जा सकता था लेकिन फिर भी अगर आप इस बात का ध्यान रखें कि यह कब लिखा गया था तो उपन्यास का लुत्फ उठा पाएँगे। विस्तृत विचार: