ज़िंदगी इक अनकही पहेली इक अनकहा एहसास है, रिश्तों के साथ होते भी हम रिश्तों से दूर है कहने को ज़िंदगी में बहुत से लोग जुड़े हैं किसके साथ हम आख़िरी बार कितनी देर बैठे थे कितना हमारा उनसे संपर्क है क्या क्या आप जानते हैं उनके दुख दर्द के बारे में क्या जानते हैं उनकी ज़िंदगी की खुशियों के बारे में क्या जानते हैं किन तकलीफों से गुज़र रहे हैं हमारे रिश्ते उन रिश्तों में हमने जीवन को कितना जिया है