निकेत तब 5 साल का रहा होगा जब वो पहली बार नीलोफ़र के विशाल भवन में आया था अपने काका के साथ। जब काका ने उसकी अंगुली थामे उसे उस विशाल बंगले के अंदर चलने को कहा तो एक पल के लिए तो वो बिल्कुल जम गया वहीं का वहीं। कहाँ तो उसका छोटा सा गांव और उसमें उसके बाबा की पुरानी हवेली और कहां ये उसके गांव के जितना महल। ये भी किस्मत का खेल था। अब उसका गांव, लोग, हवेली, मां, बाबा, भाई, बहन, सभी बाढ़ में बह चुके थे।