कोवीड काल में रजनी जैसे अनेक दूसरों लोगों से मिली उनकी तकलीफ देखी, समझने की थोड़ी कोशिश की, अपनी बेबसी पर दुखी भी हुई। दुःख बस इतना ही है कि मेरी उम्मीद थी इस काल में लोग थोड़े और संवेदनशील होंगे लेकिन वो और भी क्रूर होते चले गए। वायरस से ज़्यादा लोग आज भी अकेलेपन, नफरत और इस गैर- बराबरी से मर रहे हैं, यकीं ना हो तो अपने आस पास देखें कोई औरत तो होगी हीसुरक्षित रहें, हक की बात करें सबके, थोड़ा अपने प्रिविलेज की बेशर्मी त्यागें, शुक्र गुज़ार रहें